Inside World News : चीन से भारत में आकर बसे लोग क्यों न के बराबर रह गए
Category : World News
Uploaded : 16 May 2023, 10:51 AM IST,
Updated : 19 May 2023, 01:39 PM IST
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक सदी से अधिक समय से हक्का चीनी का एक छोटा सा समुदाय अमन-चैन से रहता आ रहा है । इस समुदाय की जेनिस ली जब कोलकाता से चीन में छुट्टियां मनाने गईं, तो उन्हें ये महसूस हुआ कि वो वहां छुट्टी के ख़त्म होने तक का इंतज़ार नहीं कर सकती हैं ।

चीन से भारत में आकर बसे लोग : Inside World
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक सदी से अधिक समय से हक्का चीनी का एक छोटा सा समुदाय अमन-चैन से रहता आ रहा है ।
इस समुदाय की जेनिस ली जब कोलकाता से चीन में छुट्टियां मनाने गईं, तो उन्हें ये महसूस हुआ कि वो वहां छुट्टी के ख़त्म होने तक का इंतज़ार नहीं कर सकती हैं ।
वे उस वक़्त को याद करते हुए बताती हैं, "मैं हक्का भाषा नहीं बोल सकती थी, मुझे खाना पसंद नहीं था और मैं बहुत खोई हुई महसूस कर रही थी।"
किसी विदेशी संस्कृति या वहां के रहन-सहन के खांचे में फिट न होने की बात आम हो सकती है लेकिन जेनिस ली के लिए नहीं क्योंकि वो खु़द चीनी मूल की हैं।
उन्होंने कहा, "मुझे तब जा कर राहत मिली जब मैं वहां से वापस आ गई।"
वे वापस कोलकाता में अपने घर आने की बात कर रही थीं. जेनिस ली, हक्का मूल की पाँचवीं पीढ़ी की भारतीय चीनी हैं।
वे पो-चोंग फूड्स में काम करती हैं. पो-चोंग फूड्स उनके दादा ने 1958 में शुरू किया था, जिसके ज़रिए वह कोलकाता में रह रहे बाक़ी चीनी निवासियों को चीनी सॉस और नूडल्स की सप्लाई करते थे।
भारत के पहले चीनी अप्रवासी टोंग आह च्यू (ब्रिटिश रिकॉर्ड के अनुसार अचेव), 1778 में चाय (चाय की पत्तियां) के साथ कोलकाता पहुंचे और शहर के पास एक चीनी मिल की शुरुआत की।
एक पूर्वी बंदरगाह के तौर पर कोलकाता चीन और पूर्वी एशिया से भारत में प्रवेश के लिए सबसे नज़दीकी जगह है. इसलिए यहां भारत का एकमात्र चीनी समुदाय रहने लगा।
20वीं शताब्दी की शुरुआत में कोलकाता में चीनी आबादी 20,000 से ज़्यादा हो गई थी, जब कई लोग चीन के गृहयुद्ध और जापान के साथ संघर्ष से बचने के लिए चीन से यहां भाग आए थे. ये लोग चमड़ा उद्योग में काम खोजने के लिए कोलकाता आए थे।
उन्होंने यहां अंतरजातीय विवाह किया, स्थानीय लोगों के साथ घुल-मिल गए और धारा प्रवाह बंगाली और हिंदी बोलना सीख गए।
जेनिस ली समझाती हैं कि खाने वाली 'चीनी' के साथ चीन से आए अप्रवासी टोंग आ चू की वजह से भारत में चीन से आए लोगों के लिए 'चीनी' शब्द का इस्तेमाल किया जाने लगा।
1950 के दौर में दिया गया कूटनीतिक स्लोगन "हिंदी चीनी भाई भाई" भी इसी का उदाहरण है. यहां तक कि कोलकाता में बसे चाइना टाउन को आज भी चीनापारा कहा जाता है ।

Author Of This Article
सौरभ सिंह
- Writer
मैं सौरभ सिंह 3 वर्षों से पत्रकारिता में हूँ। खेल पत्रकारिता में मेरी विशेषज्ञता है। मैंने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन गलगोटियाज यूनिवर्सिटी से किया है। मैं इन दिनों क्रिकेट, बॉलीवुड, फ़िल्म, टीवी, फ़िल्म समीक्षा, साक्षात्कार और खेल रिपोर्टिंग से जुड़ी ख़बरें कर रहा हूँ।
More Article Of सौरभ सिंह